Wish you all a very Happy Women's Day.
تمام پیکر بدصورتی ہے مرد کی ذات
مجھے یقیں ہے خدا مرد ہو نہیں سکتا
فرحت احساس
तमाम पैकर-ए-बदसूरती है मर्द की ज़ात
मुझे यक़ीं है ख़ुदा मर्द हो नहीं सकता
फ़रहत एहसास
عورت کو سمجھتا تھا جو مردوں کا کھلونا
اس شخص کو داماد بھی ویسا ہی ملا ہے
تنویر سپرا
औरत को समझता था जो मर्दों का खिलौना
उस शख़्स को दामाद भी वैसा ही मिला है
तनवीर सिप्रा
ابھی روشن ہوا جاتا ہے رستہ
وہ دیکھو ایک عورت آ رہی ہے
شکیل جمالی
अभी रौशन हुआ जाता है रस्ता
वो देखो एक औरत आ रही है
शकील जमाली
تو آگ میں اے عورت زندہ بھی جلی برسوں
سانچے میں ہر اک غم کے چپ چاپ ڈھلی برسوں
तू आग में ऐ औरत ज़िंदा भी जली बरसों
साँचे में हर इक ग़म के चुप-चाप ढली बरसों
हबीब जालिब
یہ عورتوں میں طوائف تو ڈھونڈ لیتی ہیں
طوائفوں میں انہیں عورتیں نہیں ملتیں
مینا نقوی
ये औरतों में तवाइफ़ तो ढूँड लेती हैं
तवाइफ़ों में इन्हें औरतें नहीं मिलतीं
मीना नक़वी
عورت اپنا آپ بچائے تب بھی مجرم ہوتی ہےعورت اپنا آپ گنوائے تب بھی مجرم ہوتی ہےنیلما ناہید درانی
औरत अपना आप बचाए तब भी मुजरिम होती है
औरत अपना आप गँवाए तब भी मुजरिम होती है
नीलमा नाहीद दुर्रानी
روشنی بھی نہیں ہوا بھی نہیں
ماں کا نعم البدل خدا بھی نہیں
انجم سلیمی
रौशनी भी नहीं हवा भी नहीं
माँ का नेमुल-बदल ख़ुदा भी नहीं
अंजुम सलीमी
عورتیں کام پہ نکلی تھیں بدن گھر رکھ کر
جسم خالی جو نظر آئے تو مرد آ بیٹھے
فرحت احساس
औरतें काम पे निकली थीं बदन घर रख कर
जिस्म ख़ाली जो नज़र आए तो मर्द आ बैठे
फ़रहत एहसास
عورت ہو تم تو تم پہ مناسب ہے چپ رہو
یہ بول خاندان کی عزت پہ حرف ہے
سیدہ عرشیہ حق
औरत हो तुम तो तुम पे मुनासिब है चुप रहो
ये बोल ख़ानदान की इज़्ज़त पे हर्फ़ है
सय्यदा अरशिया हक़
یہاں کی عورتوں کو علم کی پروا نہیں بے شک
مگر یہ شوہروں سے اپنے بے پروا نہیں ہوتیں
اکبر الہ آبادی
यहाँ की औरतों को इल्म की परवा नहीं बे-शक
मगर ये शौहरों से अपने बे-परवा नहीं होतीं
अकबर इलाहाबादी
ہے کامیابیٔ مرداں میں ہاتھ عورت کا
مگر تو ایک ہی عورت پہ انحصار نہ کر
عزیز فیصل
है कामयाबी-ए-मर्दां में हाथ औरत का
मगर तू एक ही औरत पे इंहिसार न कर
अज़ीज़ फ़ैसल
عورت ہوں مگر صورت کہسار کھڑی ہوں
اک سچ کے تحفظ کے لیے سب سے لڑی ہوں
فرحت زاہد
औरत हूँ मगर सूरत-ए-कोहसार खड़ी हूँ
इक सच के तहफ़्फ़ुज़ के लिए सब से लड़ी हूँ
फ़रहत ज़ाहिद
مانا جیون میں عورت اک بار محبت کرتی ہے
لیکن مجھ کو یہ تو بتا دے کیا تو عورت ذات نہیں
قتیل شفائی
माना जीवन में औरत इक बार मोहब्बत करती है
लेकिन मुझ को ये तो बता दे क्या तू औरत ज़ात नहीं
क़तील शिफ़ाई
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